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…हो जाये तब जानिए

Humanity Speaks
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पुनीत पाराशर

बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने राज्य में गुटखा पर प्रतिबंध लगाकर निःसंदेह एक बड़ा और समझदारीपूर्ण फैसला लिया है। ऐसा लगता है कि साफ सफाई को लेकर अचानक से भारत में अलख सी जग गई है। और यह बेशक एक महत्वपूर्ण और तर्कसंगत कदम है। नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत केन्द्र सरकार का ज़ोर पूरी तरह साफ सफाई पर है। इस अभियान को लेकर भाजपा सरकार कितनी सजग है इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह अपने इस अभियान के प्रचार प्रसार के लिए इलैक्ट्रॉनिक मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया तक हर तरीके से इसका विस्तार करने में जुटी है। ग्लैमर और भारी भरकम कैंपेनों के साथ लगातार आगे आ रहे एफ.एम. चैनलों की रेस में लगातार पिछड़ रहे ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) पर “अपने मन की बात” करके जहाँ प्रधानमंत्री अपने विचारों को दूरस्थ इलाकों में जन-जन तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं वहीं यह प्रसार भारती को अपनी पहचान कायम रखने का एक महत्वपूर्ण मौका देता है।

केन्द्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के समानांतर कदम बढ़ाते हुए बिहार के मुख्यमंत्री का यह फैसला लेना पूरी तरह उचित मालूम देता है। लेकिन यह बात ज़हन में रखना ज़रूरी है कि यूपी, बिहार और झारखंड भारत गुटखा, तम्बाखू की सबसे ज्यादा खपत करने वाले राज्यों में से एक हैं। ऐसे में किसी कानून को बनाना और फिर उसे लागू करवाने में ज़मीन आसमान का फर्क आ जाता है। उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान और पान मसाला के प्रयोग को लेकर पहले ही कई कानून बनाए जा चुके हैं। लेकिन देखने को अक्सर यह मिलता है कि इन नियम कानूनों को ज़मीनी ढ़ाचे पर उतारने वाले ही इस सब में लिप्त पाये जाते हैं। ऐसे में यूपी और बिहार जैसी सरकारों को इस बात का कोई ठोस समाधान ढ़ूढना होगा कि यदि ख़ाखी खुद ही बिना गुटखा, पान मसाले के काम करने में सक्षम नहीं है तो फिर बाकियों पर यह नियम कायदे आखिर कैसे लागू किए जा सकेंगे।

इसके अलावा जीतन राम मांझी ने इस व्यवस्था को अभी मात्र 1 वर्ष के लिए लागू किया है। इससे यह संदेह पैदा होता है कि क्या वह स्वंय इस कोशिश को लेकर आश्वस्त हैं अथवा नहीं। यदि हाँ, तो इस व्यवस्था को मात्र एक वर्ष के लिए लागू करने के पीछे सरकार की आखिर मंशा क्या थी यह साफ नहीं हो पा पाया है। गुटखा मुक्त राज्यों के मामले में बिहार नौवां ऐसा राज्य बन गया है जिसने समाज को इस अभिषाप से मुक्ति दिलाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। हालाँकि इसमें कोई दोराय नहीं कि यह कोशिश नियम व शर्तों के साथ सामने आई है। बिहार सरकार ने गुटखा खाने वालों की बजाय गुटखा बेचने वालों पर नकेल कसने की तैयारी की है। बिहार सरकार ने गैरकानूनी रूप से गुटखा, पान मसाला, तंबाखू बेचने वालों पर 1.5लाख रुपये तक का जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान रखा है। ऐसे में देखने योग्य यह होगा कि मांझी अपनी इस नैय्या को कितनी दूर तलक खे पाते हैं। और एक वर्ष पश्चात आँंकड़ो में क्या उतार चढ़ाव देखने को मिलते हैं।

और जहाँ तक बात इस तरह के कानूनों को उत्तर प्रदेश और बिहार में लागू करा लेने की है तो इतना ही कहना काफी है कि यहाँ व्यस्थाएं बनती बहुत ज़ोरो शोरों से है परन्तु वह ज़मीनी हकीकत को छूकर साकार न हो जाएं तब तक कुछ भी कह पाना ज़रा जल्दबाज़ी ही होगी। इस तरह की व्यस्थाओं को लागू कर पाने के लिए पहले व्यवस्था को ठीक करना सबसे ज़रूरी है। और यूपी बिहार की व्यस्था तो ठीक हो जाये तब जानिये।

– पुनीत पाराशर
जागरण इन्स्टीट्यूट ऑफ मैनेजमैंट एण्ड मास कम्यूनिकेशन
+91 9956780070
puneet.manav@gmail.com

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