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सर्दियाँ नज़दीक लाती हैं

Humanity Speaks
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सर्दियाँ नज़दीक लाती हैं
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puneet parashar puppies
सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है। समाचार पत्रों में छप रही ख़बरें बता रही हैं कि इस बार उम्मीद से ज्यादा ठंड पड़ेगी। दीवाली तक तो सूरज दोपहर में पसीने छुड़ा देता था। लेकिन नवंबर का अंत आते-आते मौसम ने साफ कर दिया कि सर्दियों का सुरूर इस बार भी गजब ढायेगा। सर्दियों और गर्मियों में फर्क सोचने पर एक चीज़ यह भी गौर कीजियेगा कि गर्मियों में व्यक्ति जिस भीड़-भड़क्के से दूर भागता है। सर्दियों में स्थिति इसकी ठीक उलट हो जाती है। बसों और टैम्पो में लोग इस कदर चिपक कर बैठे नज़र आते है जैसे कितना प्रेम भाव न हो आपस में। प्राइवेट बसों में तो हालत यह हो जाती है कि लोग अंगूर के गुच्छे में लटके अंगूरों की तरह चिपक कर खड़े रहते हैं। गर्मी के मौसम में रेलवे स्टेशनों पर पसीना टपकाते लोग जिस तरह एक दूसरे से दूर-दूर भागते नज़र आते हैं; उन्ही लोगों में सर्दियों में आपस में बड़ा मैत्री भाव दिखता है।

ठंड के मौसम में ऐसा करने वाला इंसान इकलौता प्राणी नहीं है। कई और जीव जन्तु भी सर्दियों में एक दूसरे के शरीर की गर्मी से खुद को गर्म रखने की कोशिश में ऐसा करते हैं। आपने अपने मोहल्ले के कुत्तो को सर्दी में अक्सर एक साथ एक दूसरे की पीठ से पीठ लगाकर बैठे देखा होगा। गर्म रुधिर वाले जीवों के शरीर का सामान्य स्थिति में एक निश्चित तापमान होता है। जिसके नीचे जाने पर उन्हें समस्या होने लगती है। इसीलिए सर्दियों में गर्म रुधिर वाले कई जीव-जन्तु आपस में सटकर बैठ जाते हैं जिससे वे एक दूसरे के शरीर की गर्मी प्राप्त कर पाते हैं। और चूँकि इंसान भी एक गर्म खून वाला जीव है अतः उसमें भी यह प्रतिक्रिया देखने को मिलती है।

जो भी हो.. इंसान के अवचेतन मन में बैठी इस आदत का आर्थिक फायदा तो टैंपो और बस वाले ही उठाते हैं। इन्हें मौका मिल जाता है टैम्पो और बसों में जमकर भीड़ भरने का। जो यात्री गर्मियों में टैम्पो चालकों द्वारा थोड़ी सी भी भीड़ भर लेने पर हो-हल्ला काट देते हैं वही यात्री सर्दियों में बड़ी ख़ामोशी से इस भीड़ को स्वीकार कर लेते हैं। जो भीड़ गर्मियों में उलझन पैदा करती है वही भीड़ सर्दियों में सुकून देने लगती है। ऐसा नहीं है कि भीड़ में रहना या झुण्ड बना कर रहना ही सर्दी से बचने का एक मात्र तरीका है। किन्तु जब शरीर को गर्मी देने का कोई और तरीका न उपलब्ध हो ऐसे में यह तरीका हमेशा काम करता है। यह तरीका इतना ज्यादा कारगर है कि ऐवरेस्ट पर चढ़ाई करने वालों को ठंड से बचने के तरीके बचाते वक्त इस तरीके को खास तौर पर समझाया जाता है। इसके अलावा ध्रुवीय क्षेत्र में रहने वाले लोग भी इसी तरीके को इस्तेमाल में ला कर ठंड से बचे रहते हैं।

By: Puneet Parashar
Jagran Institute of Management and Mass Communication, Kanpur

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