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ये कैसी घर वापसी

Humanity Speaks
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पुनीत-ब्लाग

आगरा के 56 मुस्लिम परिवारों के सदस्यों के साथ घर वापसी के नाम पर जो कुछ किया गया उसे कत्तई सही नहीं कहा जा सकता। इन गरीब परिवारों को बीपीएल और राशन कार्ड बनवाने का झाँसा देकर हवन आदि के कार्यक्रम में शामिल किया गया और वहीं पर इनका धर्मांतर करा दिया गया। इस सारे घटनाक्रम के पीछे खास बात यह रही कि इन परिवारों में से अधिकतर बहुत गरीब हैं और कूड़ा बीनने जैसे काम करके अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं। बजरंग दल को शायद यह सबसे आसान तरीका समझ में आया होगा कि कुछ कम पढ़े लिखे और ज़रूरतमंद लोगों को थोड़ा सा लालच देकर इस झांसे में ले लिया जाए। हालाँकि इनमें से कुछ ने उसी दिन घटनास्थल पर पहुँचे पत्रकारों के सामने यह माना था कि उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन अपनी मर्जी से किया है। लेकिन यह मामला तब तूल पकड़ गया जब मंगलवार को उन्हीं मुस्लिम परिवारों ने यह बयान दे दिया कि उन्हें झांसा देकर उनका धर्म परिवर्तन कराया गया है।
यूँ तो इस तरह के किसी भी घटनाक्रम के होने पर ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की बनती है परन्तु यह मामला इतना अधिक गर्मा गया कि इसकी गूँज संसद तक में सुनाई पड़ी। भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं ने इस मसले पर हर तरह से खुद को बचाने का प्रयास किया और कहा कि जिन लोगों का धर्मांतर कराया गया है वह पहले हिन्दू थे, परन्तु किन्हीं कारणों से उन्होंने मुस्लिम धर्म को अपना लिया था। और हम सिर्फ उनकी घर वापसी करा रहे हैं।

धर्म विभिन्न जीवन शैलियों का नाम है, जिन्हें अलग-अलग नाम दे दिए गये हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आस्था के अनुसार उसके धर्म को चुनने की आज़ादी भारत का संविधान उसे देता है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति अथवा समुदाय ज़ोर जबरदस्ती करके अथवा बहला फुसला कर किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास करता है तो यह सीधे-सीधे संविधान के उल्लंघन का मामला बनता है। भाजपा के सत्ता में आने के बाद से सोशल नेटवर्किंग साइटों पर हिन्दू धर्म की तारीफ़ों वाले कन्टेंट की मात्रा कई गुना बढ़ गई है। इस तरह की तस्वीरों, वीडियो और संदेशों में हिन्दू धर्म की प्रशंसा तथा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष ढंग से मुस्लिम धर्म की बुराई की गई होती है।

भाजपा के सत्ता में आने के कुछ समय बाद ही लव जिहाद का मुद्दा अचानक से चर्चा में आया था। लव जिहाद एक ऐसा मसला था जिसमें मुस्लिम समुदाय के कुछ युवा लड़के, हिन्दू लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसा कर उनसे शादी कर रहे थे। एक मुस्लिम लड़का एक से अधिक अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ विवाह कर उनसे संतानें पैदा करता था। ऐसी ख़बरें आईं कि इस तरह का काम एक मुस्लिम संगठन भारत में मुसलमानों की आबादी बढ़ाने के उद्देश्य से कर रहा है। ऐसी खबरें आईं कि लव जिहाद का मुद्दा इससे पहले कांग्रेस सरकार में भी सामने आया था, लेकिन उस वक्त कांग्रेस ने इसे अपनी वोट बैंक की राजनीति के चलते दबा दिया।

अब प्रश्न यह उठता है कि इस प्रकार से लोगों को बहला फुसलाकर उनको हिन्दू बनाने की कोशिश में और लव जिहाद के मुद्दे में आखिर कितना फर्क रह जाता है? दोनों ही स्थितियों में एक धर्म के लोगों को धोखे से दूसरे धर्म में घसीटा जा रहा है। हाँ, इतना अन्तर ज़रूर है कि बजरंग दल वाले वही काम खुले तौर पर कर रहे हैं, जो लव जिहाद के मुद्दे पर छिपकर किया जा रहा था। तो क्या ऐसा कहा जाये कि भाजपा और उसके सहयोगी संगठन अब जिहादियों और बोकोहरम की ही तर्ज पर लोगों का धर्मांतर कराने की कोशिश में हैं? और इस तरह की कोशिशों से अब वह अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहती हैं? और यदि ऐसा नहीं है तो भाजपा इस तरह के संगठनों की ओर कोई कड़ा रुख क्यों नहीं अख्तियार कर रही?

इस तरह के कदम किसी भी तरह से देश के हित में नहीं ठहराये जा सकते। भारत के साथ परिस्थितियाँ अन्य देशों से काफी अलग हैं। हमारी संस्कृति किसी एक जाति अथवा धर्म विशेष की संस्कृति नहीं है। भारत में कई धर्म एंव जातियाँ मिलकर रहती हैं, और यही भारत की शक्ति का राज़ है। “यूनिटी इन डाइवर्सिटी” अर्थात अनेकता में एकता। और भारत के लोगों को अपनी इस शक्ति को समझते हुए विकास की राह पर अग्रसर होते रहना चाहिए। जाति और धर्म जैसे मुद्दों पर उलझ कर हम 150 से भी ज्यादा वर्षों से लड़ते झगड़ते रहे हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि जो भी देश आज एक विकसित देश के रूप में हमारे सामने खड़े हैं उन्होंने पहले इन छोटी बड़ी सामाजिक समस्याओं से स्वयं को ऊपर उठाया है तभी आज वह इस मुकाम तक पहुँच सके हैं।

By: पुनीत पाराशर

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