Menu
blogid : 13214 postid : 870627

नशे का नश्तर

Humanity Speaks
Humanity Speaks
  • 49 Posts
  • 41 Comments

भारत में इस बात पर बहस छिड़ी हुई है कि तम्बाखू कैंसरकारी है अथवा नहीं। कई लोग ऐसी दलीलें दे रहे हैं कि तम्बाखू हानिकारक तो है परन्तु कार्सिनोजिक अर्थात कैंसरकारी नहीं है। हालांकि हम सभी तम्बाखू से होने वाले दुष्परिणामों से वाकिफ़ हैं, लेकिन इसके बावजूद कुछ बड़े नेताओं का यह कहना कि किसी के कह देने भर से ऐसा नहीं माना जा सकता कि तम्बाखू से कैंसर हो जाता है। इसके लिए आज तक ऐसा कोई भी सर्वे जारी नहीं किया गया है जिससे यह साबित होता हो कि तम्बाखू से कैंसर होता है। हालांकि इस तरह के दकियानूसी और गैर जिम्मेदाराना बयान देने वाले नेताओं में से अधिकतर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किसी न किसी तम्बाखू उत्पाद से सम्बन्धित कारोबार से जुड़े हुए हैं।

तम्बाखू एक ऐसा पदार्थ है जिसके खिलाफ पहले से ही भारत के कई राज्यों में रोक लगी हुई है। फिल्म थियेटर्स से लेकर टीवी विज्ञापनों तक के द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय लम्बे समय से तम्बाखू उत्पादों पर अलग-अलग तरीकों से रोक लगाने की कोशिश में लगा रहा है। तम्बाखू का प्रयोग किसी भी रुप में जानलेवा है। धूम्रपान में प्रयुक्त तम्बाखू फैंफड़ों के माध्यम से सीधे रक्त में मिलकर जहाँ शरीर को कमज़ोर एंव शिथिल बनाना शुरू कर देता है, वहीं तम्बाखू युक्त धुँए से पैदा हुए टार के लगातार फैंफड़ो में जमा होते रहने से फैंफड़े भी बेकार होने लगते हैं और व्यक्ति को साँस सम्बन्धी तमाम तकलीफें होने लगती है। पूर्व में हुए एक आँकलन के मुताबिक भारत में महिलाएं पुरुषों से अधिक तम्बाखू का सेवन करती हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं का तम्बाखू सेवन किया जाना इसलिए ज्यादा हानिकारक है क्योंकि इससे न सिर्फ उन्हे नुकसान होता है बल्कि यह पूरे परिवार के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

कटु सत्य यह भी है कि भारत में तम्बाखू समेत अधिकतर मादक पदार्थों की बिक्री सिर्फ इसलिए आज भी जारी है क्योंकि इससे केंद्र सरकार को टैक्स के रूप में एक बड़ी राशि प्राप्त होती है। कई सांसदों समेत ऐसे तमाम बड़े नेता हैं जो स्वयं इस प्रकार के व्यवसायों को या तो शय दे रहे हैं अथवा वह स्वयं इसके मालिक हैं। समस्या यह है कि इस प्रकार के व्यवसायों में बेहिसाब मुनाफा है और वह मुनाफा सिर्फ इसलिए है क्योंकि इस तरह की लत का जो भी व्यक्ति एक बार शिकार हो जाता है फिर उसके लिए इन आदतों को छोड़ पाना मुश्किल होता है। परिणामस्वरूप इस तरह के धन्धों में मुनाफा कभी कम नहीं होता है। किन्तु इनकी कीमत या तो नशा करने वालों को चुकानी पड़ती है, अथवा उसके परिवारों को।

शराब व्यापार में शराब बनाने वाले से लेकर ठेके वाले और लाइसेंस जारी करने वाले तक लगभग सभी को फायदा पहुँचता है। नुकसान में आता है तो मात्र शराब पीने वाला। यह उसे चौतरफा नुकसान पहुँचाती है। एक समय के बाद शराब पीने वाले व्यक्ति का दिमाग ठीक प्रकार से काम करना बन्द कर देता है और उसके सोचने समझने की शक्ति लगभग क्षीण सी होने लगती है। साथ ही उसके शरीर के आन्तरिक अंगों जैसे लिवर और किडनी पर इसके भारी दुष्परिणाम देखने को मिलते है। इतना ही नहीं इसके बाद उसके परिवार को भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। यह व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक एंव आर्थिक रूप से नुकसान पहुँचाती है।

तम्बाखू का सेवन करने वाले व्यक्ति के शरीर पर भी ऐसे ही कई नुकसान देखने को मिलते हैं। मुँह खुलना कम हो जाना अथवा पूरी तरह से बन्द हो जाना या मुँह का कैंसर जैसी खतरनाक समस्याएं तम्बाखू के प्रयोग से होने वाले दुष्परिणामों में से ही हैं।
नशा कोई भी अथवा किसी भी प्रकार का हो, एक बात जो लगभग प्रत्येक नशे में सामान्य है वह यह कि इनसे व्यक्ति को किसी प्रकार का लाभ नहीं होता है। ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि नशा किया जाना किस हद तक ठीक है। इससे व्यक्ति को सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही मिलता है। यह न सिर्फ नशा करने वाले के लिए बल्कि आपके आस पास के लोगों के लिए भी नुकसानदायक है। ऐसे में न सिर्फ सरकार को बल्कि जनसाधारण को भी नशे के की समस्या की जड़ में चोट करनी चाहिए ताकि मानव समाज और यह देश इस शाप से मुक्त हो सके।

By: Puneet Parashar
Jagran Institute of Management and Mass Communication

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply