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वेलकम बैक राहुल

Humanity Speaks
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बेमौसम बारिश से किसानों की फसल बरबाद होती रही। देश का अन्नदाता मौत को गले लगाता रहा। अमेठी में उनकी गुमशुदगी के पोस्टर लगाए जाते रहे। लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तपस्या नहीं टूटी। भारत से दूर म्यांमार में वह विपस्यना साधना में डूबे रहे। भारत में कांग्रेस कार्यकर्ता जनता को यह कह कर समझाते रहे कि राहुल चिंतन मनन के लिए गये हुए हैं। राहुल गांधी के साथ शुरू से शायद दिक्कत भी यही रही कि वह मौके पर चौका मारने से चूक जाते हैं। शायद यही वजह है कि राजनीति के दंगल में राहुल आज भी पैंतरेबाज़ी में उतने तेज तर्रार नहीं माने जाते हैं जितना कांग्रेस के कई अन्य अनुभवी नेता। राहुल उनके भाषणों में भी मामूली भाषाई गलतियाँ कर जाते हैं जिसके चलते वह अपनी रैलियों में अक्सर मजाक का पात्र बन जाते हैं। लोकसभा चुनाव 2014 के बाद से कांग्रेस जहाँ अपने अस्तित्व के लिए जूँझती नज़र आ रही है वहीं राहुल गांधी कहीं पर भी कोई खास करिश्मा नहीं दिखा पाए। प्रियंका राजनीति में उतरने से कई बार साफ इनकार कर चुकी हैं। हालांकि चुनावी मौसम में वह अक्सर कांग्रेस के लिए प्रचार करने उतर आती हैं। शायद यही वजह है कि सोनिया शुरू से ही राहुल को एकमात्र विकल्प के तौर पर देखती रही हैं। कांग्रेस में भी आम आम आदमी पार्टी की ही तरह दो धड़े हैं जिनमें से एक तो सोनिया गांधी के नेतृत्व में काम करना चाहता है और दूसरा राहुल गांधी के नेतृत्व में रहते हुए पार्टी को एक नई दिशा देना चाहता है। लेकिन हाल फिलहाल राहुल गांधी को दी गई जिम्मेदारियों को ठीक तरह से न निभा पाने के चलते पार्टी राहुल पर कोई नया प्रयोग नहीं कर रही है।

बहरहाल, 59 दिनों की अपनी लम्बी छुट्टियों के बाद अब राहुल फिर से स्वदेश लौट आए हैं। थाई एयरवेज की उनकी फ्लाईट दोपहर करीब सवा ग्यारह बजे इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर लैंड की। घर लौटने पर उनकी माँ सोनिया गांधी और बहन प्रियंका ने उनका स्वागत किया। घर के बाहर समर्थकों ने पटाखे जलाकर खुशियाँ मनाई और राहुल गांधी जिन्दाबाद के नारे लगाए। अब ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि लम्बी छुट्टी के बाद घर लौटे राहुल डट कर काम में लगेंगे और जनता की शिकायतों को दूर करने की भरसक कोशिश करेंगे। विपक्षी दल के नेता होने की नाते वर्तमान में राहुल गांधी के पास भाजपा को घेरने के कई मुद्दे हैं। साथ ही बिहार और उत्तर प्रदेश में चुनाव नज़दीक हैं। अपनी छंवि को संभालते हुए जनता के बीच एक बार फिर से भरोसा कायम करने का यह अच्छा मौका है। ऐसे में राहुल गांधी के पास काम की कोई कमी नहीं है। उनके सबसे नज़दीकी कार्यक्रमों में अभी किसान रैली चर्चा में है। गौरतलब है कि पूरे बजट सत्र के दौरान राहुल गांधी छुट्टियों पर रहे हैं। देश का किसान जब बिगड़े मौसम का दंश झेल रहा था तब भी राहुल नदारद थे। ऐसे में ज़ाहिर है कि देश का किसान उनसे खासा नाराज़ है। किसान रैली की तैयारियाँ राहुल शुक्रवार से ही शुरू कर देंगे। वह शुक्रवार को कार्यकर्ताओं से मिल कर रैली की तैयारियों के बारे में बात करेंगे।

राहुल के वापस लौटते ही अन्य राजनीतिक दलों ने भी उन पर हमले तेज़ कर दिए हैं। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए बयान दिया कि “राजनीति या तो फुल टाइम होती है या फिर नहीं होती है। ऐसे में राहुल को यह तय करना होगा कि वह क्या करना चाहते हैं।“ शिवसेना नेता संजय राउत ने तो बहुत ही बेपरवाही भरी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राहुल गांधी कोई समस्या ही नहीं हैं। कांग्रेस के लिए अब राहुल गांधी की राजनीतिक छवि के साथ-साथ खुद के भी अस्तित्व को बचाने की बात है। ऐसे में जरूरत अब कांग्रेस को जी जान झोंक कर एक नई शुरुआत करने की है।

By: पुनीत पाराशर
Jagran Institute of Management and Mass Communication

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