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आम तौर पर बढ़ी हुई दाढ़ी और तेज़ कदमों के साथ नज़र आने वाले राहुल गांधी आज जब किसानों से मिले तो वह क्लीन शेव्ड और काफी शान्त नज़र आए। प्रशासन द्वारा लगाए गए बैरिकेडिंग्स उन्हें बाकी भीड़ से पृथक कर रहे थे। हाथों में बरबाद हो चुके गेंहूँ की बालियाँ और तख्तियाँ लिए हुए किसान भारी मात्रा में राहुल से मिलने पहुँचे। राहुल ने किसानों से कहा कि मैं इस दुख के समय में आपके साथ हूँ। किसानों ने भी शायद मन ही मन सोचा होगा कि देर से ही आये सही.. पर आप आये तो सही कम से कम। गौरतलब है कि कल राहुल गांधी दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान रैली करने वाले हैं। हालांकि किसान नेताओं से मत्रणा में किसानों ने इस बात पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह फसल काटे जाने का समय है और इस समय रैली रखना ठीक नहीं होगा। परन्तु अब चूँकि सारी तैयारियाँ हो चुकी है इसलिए कल रैली होना तो हर हाल में तय है। कांग्रेस की इस रैली पर किसानों के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दलों की भी तीखी नज़र रहेगी। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार कांग्रेस बिलकुल नए अंदाज़ में नज़र आएगी।
बहरहाल, किसानों को इस बात से कोई लेना देना नहीं है। वह तो बस इतना चाहते हैं कि उनकी बरबाद हो चुकी फसल का कोई केरा-नेरा कर दे बस। भाजपा सरकार द्वारा इस मसले पर अब तक लिए गए फैसलों से किसान अभी भी नाखुश नज़र आ रहे हैं। किसानों के आत्महत्या करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी में आज 50 और किसान सदमे के चलते मौत के आगोश में समा गए। राजनाथ सिंह कृषि बीमा मसौदे पर पुनः काम करने की बात कर रहे हैं। राम विलास पासवान ने कहा है कि हम 50 फीसद कम चमक वाला गेहूँ भी खरीदने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही मुआवज़े की राशि डेढ़ गुना बढ़ा चुके हैं पर इन सारी चीज़ों से कोई फर्क पड़ता दिखाई नहीं पड़ रहा है। किसानों की मौत की संख्या में इससे कोई कमी आती नहीं दीख रही है। मुआवजों की घोषणाएं और नेताओं के आश्वासन अन्नदाता को आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठाने से नहीं रोक पा रहे हैं, ऐसे में देश के किसान को अब क्या चाहिए राजनेताओं को यह समझने की ज़रूरत है।
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी भी आज कनाडा से भारत वापस आ गए हैं। ऐसे में वह भी राहुल रथ को रोकने का प्रयास ज़रूर करेंगे और चाहेंगे कि वह इस सब पर किसानों की हमदर्दी न जीतने पाएं। परन्तु फिलहाल तो देश का किसान देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी के ही पाले में खड़ा नज़र आ रहा है। राहुल के अभिभाषण पर भी ज़ोरो शोरो से काम किया जा रहा है। पूर्व विदित है कि विदेश में शिक्षा प्राप्त कर चुके राहुल अंग्रेजी तो फर्राटेदार बोलते हैं, किन्तु हिन्दी में बोलते वक्त वह कई बार मामूली गलतियाँ कर जाते हैं। लाखों हैक्टेयर में खड़ी पकी हुई गेंहूँ की फसल तबाह हो चुकी है। किसान आक्रोशित में भी हैं और तकलीफ में भी। ऐसे में वह राहुल का साथ देने के कितना मूड में है यह इस बात से तय होगा कि इस किसान रैली में राहुल कितनी भीड़ा जुटा पाते हैं।
By: पुनीत पाराशर
puneet.manav@gmail.com
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